Mirzapur के बेखौफ गलियारों में जहां खून के छींटें और गोलियों की आवाज़ आम थी, वहां का सबसे रंगबाज किरदार अब नहीं दिखाई देगा। ‘मिर्जापुर 3‘ के लिए उत्साहित फैंस के लिए, ‘मुन्ना भैया’ का न होना एक तीखा सच है। दिव्येंदु शर्मा, जिन्होंने अपने किरदार से दर्शकों का दिल और दिमाग दोनों जीता है, उन्होंने ने हाल ही में बताया कि कैसे यह सफलता उनके लिए एक बोझ बनने लगी थी।
Munna Bhaiya के शो छोड़ने की वजह?
“मुन्ना त्रिपाठी निभाना मेरा सपना था, और जो प्यार इस किरदार को मिला, उसकी मैं कद्र करता हूं,” दिव्येंदु ने कहा, “लेकिन वह सिरफिरापन, वह अहंकार जो हर कदम पर बेलगाम होता जाता था, वह मुझ पर हावी हो रहा था। एक सीन के खत्म होने के बाद भी वह गुस्सा मुझ पर छाया रहता था। मैं घंटों खुद को वापस लाने की कोशिश करता, पर नामुमकिन लगता।”
यह एक कलाकार के लिए समर्पण की मिसाल भी थी और खतरे का संकेत भी। दिव्येंदु के इस खुलासे से साफ है कि कुछ किरदार कलाकार के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर कितना गहरा असर छोड़ सकते हैं।
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— NDTV Movies (@moviesndtv) April 7, 2024
असल जिंदगी में कैसे है दिव्येंदु?
दिव्येंदु को जानने वाले इस बात से वाकिफ हैं कि असल जिंदगी में वह शांत और सहज स्वभाव के व्यक्ति हैं। मुन्ना की हिंसा, उसके उग्र तेवर दिव्येंदु के अपने व्यक्तित्व से मीलों दूर थे। उन्होंने इस विरोधाभास पर कहा, ” शायद यही अच्छे अभिनेता होने का मतलब है, कि आप कैमरे के सामने कोई और ही बन जाते हैं। लेकिन मुन्ना ने मेरे भीतर छिपे उस हिस्से को जगा दिया था, जिसे मैं और गहराई में दबाना चाहता था। इस किरदार से लगाव और दूरी बनाकर रखना, मेरे लिए एक लगातार चुनौती बन गया था।”
किरदार से नहीं निकल पाते थे दिव्येंदु
दिव्येंदु उस वक्त को याद करते थे जब शूट खत्म होने के बाद भी वह किरदार की कैद से नहीं निकल पाते थे। कल्पना कीजिए, घर पहुंच कर जब परिवार वाले एक हल्के-फुल्के माहौल की उम्मीद करते हों, और उस वक्त आपके दिमाग में आपके द्वारा ही निभाए गए किसी खौफनाक सीन का जाल चल रहा हो। खाना बेस्वाद लगे, नींद न आए, और करीबी लोगों की बातचीत से भी मन ऊब जाए – दिव्येंदु खुद को अक्सर उस मानसिक स्थिति में पाते थे।
क्या बदलेगी ‘मिर्जापुर’ की कहानी?
मुन्ना त्रिपाठी की मौजूदगी ‘मिर्जापुर’ की दुनिया के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह थी। यह सवाल उठना लाज़मी है कि उसका न होना कहानी में क्या बदलाव लाएगा। क्या अब ‘मिर्जापुर’ उतना रंग जमा पाएगा? कुछ अनुमान लगाते हैं कि शायद मुन्ना का किरदार सीरीज़ में मार दिया जाएगा, जिसके बाद उसके न होने का असर दिखाया जाएगा। कई यह भी सोचते हैं कि क्या आगे ‘मिर्जापुर’ सिर्फ बदले और प्रतिशोध की कहानी बन जाएगा, या नए किरदार दर्शकों का मनोरंजन कर पाएंगे?
हर कलाकार की अपनी चुनौतियां
यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी अभिनेता ने अपने किरदार से प्रभावित होने के बाद उसे छोड़ने का फैसला किया हो। हीथ लेजर ने जब ‘द जोकर’ का किरदार निभाने के लिए खुद को तैयार किया, तो उन्होंने हफ्तों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। कहा जाता है कि यह समर्पण ही उनकी असमय मृत्यु की एक वजह बना, क्योंकि वह उस नकारात्मक भूमिका के प्रभाव से उबर नहीं पाए।
दिव्येंदु ने अपने प्रशंसकों को धन्यवाद देते हुए कहा, “कला के लिए मेरा प्यार नहीं बदला है। बस, आगे मैं उन किरदारों में जान डालना चाहता हूं, जो मेरे ज़हन पर एक सकारात्मक असर डालें, न कि मुझे मानसिक उथल-पुथल में धकेल दें।”
क्यों जरूरी है दिव्येंदु का ये कदम?
दिव्येंदु का निर्णय हमें इस बात का अहसास कराता है कि मनोरंजन की दुनिया के परदे के पीछे कलाकार किस तरह के मनोवैज्ञानिक संघर्ष से जूझ रहे होते हैं। जो ‘हीरो’ या ‘विलेन’ पर्दे पर बड़े आत्मविश्वास से नज़र आते हैं, कई बार भीतर से उतने ही असहज होते हैं।
यह याद रखना ज़रूरी है कि ‘मुन्ना भैया’ भले ही काल्पनिक था, लेकिन दिव्येंदु शर्मा का उस किरदार की गिरफ्त से निकलने का फैसला बेहद वास्तविक और प्रशंसनीय है। उनकी यह ईमानदारी एक उदाहरण स्थापित करती है – हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर तब, जब हमारा काम हमारी भावनाओं को इतनी गहराई से छूता हो।
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