J Krishnamurti teachings: जे कृष्णमूर्ति एक ऐसे दार्शनिक थे, जिन्होंने ज़िंदगी, मन और समाज के बारे में गहरी बातें बहुत ही सरल और सहज भाषा में समझाईं। उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक और उपयोगी हैं, जितनी उनके समय में थीं। आइए, उनकी कुछ सबसे महत्वपूर्ण शिक्षाओं पर एक विस्तृत नज़र डालें।
स्वयं को जानना
हम अक्सर दूसरों की बातों या सामाजिक मान्यताओं में उलझे रहते हैं, बिना यह जाने कि सच्ची समझ तो हमारे भीतर ही है। जैसे कोई तोता रटी हुई बातें दोहराता है, वैसे ही हम भी बिना सोचे-समझे दूसरों के विचार अपना लेते हैं। कृष्णमूर्ति जी कहते थे, सच्ची समझ तो हमारे भीतर ही है। खुद को जानना ही असली ज्ञान है। जब हम अपने विचारों और भावनाओं को ध्यान से देखेंगे, तभी हम अपने अंदर के द्वंद्वों, भयों और सीमाओं को समझ पाएंगे। यह आत्म-जागरूकता ही हमें सच्ची आज़ादी की ओर ले जाएगी।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपको गुस्सा बहुत जल्दी आता है। अब अगर आप इस गुस्से के पीछे के कारणों को नहीं समझेंगे, तो यह गुस्सा आपको और दूसरों को तकलीफ़ देता रहेगा। लेकिन जब आप समझेंगे कि यह गुस्सा कहाँ से आ रहा है – शायद किसी पुराने डर से या किसी असुरक्षा की भावना से, तो आप इस पर काबू पा सकेंगे।
मन की गतिविधियों पर ध्यान
हमारा मन विचारों, यादों और कल्पनाओं में भटकता रहता है, ठीक उसी तरह जैसे एक बंदर एक डाल से दूसरी डाल पर कूदता रहता है। कृष्णमूर्ति जी कहते थे कि मन के इस निरंतर प्रवाह पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। जब हम अपने विचारों को बिना किसी निर्णय के observe करते हैं, तो हम उनके पैटर्न को समझने लगते हैं। यह समझ हमें उनके प्रभाव से मुक्त होने में मदद करती है।
मान लीजिए आप किसी काम में असफल हो गए हैं और आपका मन बार-बार आपको उस असफलता की याद दिला रहा है। अब अगर आप इन विचारों में उलझे रहेंगे, तो आप निराशा और हताशा में डूब जाएंगे। लेकिन अगर आप इन विचारों को बस देखते रहेंगे, उन्हें आने-जाने देंगे, तो आप पाएंगे कि उनका आप पर कोई असर नहीं हो रहा है।
परिवर्तन ही जीवन का नियम
इस दुनिया में सब कुछ बदलता है – मौसम, रिश्ते, परिस्थितियाँ। कृष्णमूर्ति जी कहते थे कि अगर हम इस बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे, तो हम दुःख और पीड़ा में फँसे रहेंगे। जिस तरह एक पेड़ हवा के साथ झुक जाता है, उसी तरह हमें भी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव के साथ लचीला होना चाहिए। यह लचीलापन हमें मुश्किल समय में भी मज़बूत बनाए रखेगा।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपकी नौकरी चली गई है। अब अगर आप इस बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे और पुराने दिनों को याद करके दुखी होते रहेंगे, तो आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे। लेकिन अगर आप इस बदलाव को एक नए अवसर के रूप में देखेंगे, तो आप कुछ नया और बेहतर कर पाएंगे।
सच्ची आज़ादी की खोज
सच्ची आज़ादी सिर्फ बाहरी परिस्थितियों से मुक्त होने का नाम नहीं है। यह तो हमारे मन की उन सभी बेड़ियों को तोड़ने का नाम है, जो हमें डर, लालच, ईर्ष्या और नफ़रत में जकड़े रखती हैं। जब हम किसी गुरु, नेता या विचारधारा के पीछे आँख मूँदकर नहीं चलते, बल्कि अपनी समझ से हर चीज़ का विश्लेषण करते हैं, तभी हम सच्चे अर्थों में आज़ाद होते हैं।
मान लीजिए आपके परिवार में सभी एक खास राजनीतिक पार्टी को समर्थन देते हैं। अब अगर आप भी बिना सोचे-समझे उसी पार्टी का समर्थन करने लगेंगे, तो आप अपनी स्वतंत्र सोच को खो देंगे। लेकिन अगर आप अलग-अलग पार्टियों के बारे में पढ़ेंगे, उनके कामों का विश्लेषण करेंगे, और फिर अपना निर्णय लेंगे, तो आप सच्चे अर्थों में आज़ाद होंगे।
प्रेम
प्रेम किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति आसक्ति नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें हम बिना किसी स्वार्थ या अपेक्षा के दूसरों का भला चाहते हैं। जब हम बिना किसी शर्त के प्रेम करते हैं, तो हम अपने अंदर की सभी नकारात्मक भावनाओं से मुक्त हो जाते हैं। यह प्रेम ही हमें दूसरों के साथ सच्चे अर्थों में जुड़ने और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की प्रेरणा देता है।
मान लीजिए आपका कोई दोस्त आपसे किसी बात पर नाराज़ हो गया है। अब अगर आप उसे मनाने की कोशिश सिर्फ इसलिए करेंगे क्योंकि आप उसे खोना नहीं चाहते, तो यह सच्चा प्रेम नहीं होगा। लेकिन अगर आप उसकी नाराज़गी को समझने की कोशिश करेंगे और बिना किसी अपेक्षा के उसका साथ देंगे, तो यह सच्चा प्रेम होगा।
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